Thursday, April 10, 2014

मेरा ख़ौफ़ महज़ स्किज़ोफ्रेनिया नहीं

हाँ मुझे मोदी से डर  लगता है

मुझे तब डर नहीं लगा जब मेरी माँ कॉमा में
नंग-धडंग, ICU के एक स्ट्रेचर पर पड़ी थीं
और डॉक्टर ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा था
इनकी हालत ठीक नहीं है, बहुत उम्मीद मत रखो

उस वक़्त भी डर नहीं लगा जब दंगाइयों के हमले से बौखलाए
और खून के प्यासे बने मुसलमानों के एक झुण्ड ने इसलिए मुझपर हमला कर दिया था
क्योंकि मैं बाज़ार में हिंदुओं की दुकानों को जलाने के उनके इरादे की मुख़ालिफ़त कर रहा था
जब खून से तर अपनी कनपटी पर
तमंचे के घोड़े की खटपट को महसूस कर रहा था
तब दिमाग़ में बहुत सारे ख़यालात तो थे
पर डर का एहसास क़तई न था

पर आज
मैं सहमा हुआ हूँ
डर है, कंपकंपी-सिहरन सी महसूस होती है
इस ख़याल से कि मोदी मुल्क का सरबराह बनने की दौड़ में है

अपने लिए, अपने ख़ानदान या किसी क़ौम के लिए यह डर नहीं है
मौत तो बरहक़ है, किसी को इससे नजात नहीं
अपने नाम की वजह से हासिल परेशानियाँ
और हिक़ारत भी सबब नहीं
इस उम्र तक आते-आते उनकी आदत हो चुकी है

डर इस बात का है
कि जिस नफ़रत और ग़ुस्से से वोह बोलता है
जिस हिक़ारत के अंदाज़ में वोह अपने मुख़ालिफ़ों को कोसता है
जिस क़िस्म की नफ़रत और ग़ुस्सा
वोह पैदा करने में कामयाब हो रहा है
चुनाव में वोट डालने के बाद ख़त्म नहीं होगा
क्या मुल्क इतनी नफ़रत और ग़ुस्से को बर्दाश्त कर पाएगा

क़ौमों के बीच जो अलगाव और दीवारें
मोदी बना रहा है
क्या अवाम उनके पार हाथ बढ़ा कर
फिर से हमआहंगी का माहौल बना पाएगी

कहीं यह चुनावी सियासत
पहले से बनी दरारों को इतना गहरा न कर दे
कि लोग बढ़े हाथों को
नाम सुनकर वापस खींच लें

सियासत बदला लेने का औज़ार तो नहीं बन जाएगी
कमज़ोर, मजबूरों, गिनती में कम,
दिखने और बोली-बानी में अलग लोगों
की हार का दूसरा नाम तो नहीं बन जाएगी

जंगल, पहाड़, नदियां, चरिन्द-परिंदे
काने विकास की सबसे बड़ी क़ीमत पहले भी चुकाते थे
पर कुछ थे जो चीख़ते-चिल्लाते थे
होश और अक़ल की दुहाई देते थे
कहीं यह आवाज़ें सीने में ही दफ़न तो नहीं हो जाएँगी
कहीं ज़ुल्म की मुख़ालिफ़त करनेवाले खामोश तो नहीं कर दिए जाएँगे

किसी बीमार या मजबूर की तरफ़ मदद का हाथ बढ़ाने के पहले
लोग उसका नाम या फ़िरक़ा तो नहीं पूछने लगेंगे
किसी मज़दूर की मज़दूरी
उसकी पहचान की मुहताज तो नहीं बन जाएगी

जहाँ मोदी ने राज किया है
जहाँ की अवाम ने उसे बारबार जिताया है
यही सब तो हुआ है
इसलिए मेरा ख़ौफ़ महज़ स्किज़ोफ्रेनिया नहीं
मेरी दिमाग़ी कैफ़ियात बुरी नहीं

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